केदारनाथ धाम देश विदेश के करोड़ों भक्तों का आस्था का केंद्र है।यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ ने नई पर्यावरणीय संकट खड़ा कर दिया है।धाम में हर दिन 15 हजार से अधिक श्रद्धालु पहुँच रहे है।सीमित व्यवस्था होने के कारण धाम में प्लास्टिक का कचरा फैलता जा रहा है।बिस्कुट,प्लास्टिक की बोतल,खाने पीने का हर सामान प्लास्टिक में आ रहा है।विपरीत मौसम को देखते हुए और लगातार बारिश के कारण व्यापारियों को अपना सामान प्लास्टिक में लाना पड़ता है लेकिन प्लास्टिक निस्तारण की समुचित व्यवस्था नही होने से हर जगह प्लास्टिक का कचरा दिख रहा है।
रामानंद आश्रम और ललितदास महाराज के सहयोग से rural tales ने प्लास्टिक हटाने की मुहिम शुरू की है।पूरे केदारनाथ धाम को 4 ज़ोन में बांट दिया गया है।पहला ज़ोन पुराना घोड़ा पड़ाव(रामानंद आश्रम) दूसरा पड़ाव भैरव मंदिर तीसरा पड़ाव केदारपुरी सरस्वती घाट और चौथा पड़ाव बेस कैम्प है।
राज्य सरकार ने केदारनाथ से सभी प्लास्टिक कचरा को सोनप्रयाग लाने का दावा तो किया है लेकिन हो बिल्कुल उल्टा रहा है।केदारघाटी से कूड़े को निस्तारण की जिम्मेदारी नगर में नगर पंचायत और नगर से बाहर सुलभ इंटरनेशनल की है लेकिन दोनों ही अभी तक केवल खानापूर्ति ही कर रहे है।बड़ी संख्या में आ रहे श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण गौरीकुण्ड से केदारनाथ तक रास्ते के किनारे प्लास्टिक कचरा बिखरा पड़ा है।
केदारनाथ घाटी रामबाड़ा से आगे 67 वर्ग किमी में फैली हुई है।चोरबाड़ी और कंपेनियन ग्लेशियर के साथ ही केदारनाथ, केदारडोम और कई हिम चोटियों की तलहटी में बसी है।यह पूरी घाटी अंग्रेजी के u आकर में बसी है।घाटी से 5 नदियों का उद्गम होता है।जैव विविधता के लिए यह पूरी घाटी बहुत संवेदनशील है।कस्तूरी मृग,मोनाल,हिम तेंदुआ,भरल और थार के साथ ही सैकड़ो जड़ी बूटियां यहाँ पाई जाती है समुद्र तल से साढ़े 11 हजार फीट पर स्थित इस घाटी में बढ़ती प्लास्टिक भविष्य में चिंता का विषय है।…..ReadMore